गीता प्रेस, गोरखपुर >> कल्याण प्राप्ति के उपाय कल्याण प्राप्ति के उपायजयदयाल गोयन्दका
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प्रस्तुत पुस्तक में कल्याण प्राप्ति के उपायों का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
।।श्रीहरि:।।
सम्पादक का निवेदन
सत्य-सुख के विघातक जड़वाद के इस विकास-युग में, जहाँ ईश्वर और ईश्वरीय
चर्चा को व्यर्थ बतलाने और मन को दुस्साहस किया जा रहा है, जहाँ परलोक का
सिद्धान्त कल्पनाप्रसूत समझा जाता है, जहाँ ज्ञान-वैराग्य-भक्त की बातों
को अनावश्यक और देश-जाति की उन्नति में प्रतिबन्ध रूप बतलाया जाता है,
जहाँ भौतिक उन्नति को ही मनुष्य जीवन का परम ध्येय समझा जाने लगा है, जहाँ
ज्ञान-वैराग्य-भक्ति की बातों को अनावश्यक और देश-जाति की उन्नति में
प्रतिबन्धक रूप बतलाया जाता है, जहाँ भौतिक उन्नति को ही मनुष्य जीवन का
परम ध्येय समझा जाने लगा है, जहाँ केवल इन्द्रिय-सुख ही परम सुख माना जाता
है और जहाँ प्राय: समूचा साहित्य-क्षेत्र जड़-उन्नति के विधायक ग्रन्थों,
मौज-शौक के उपन्यासों और गल्पों एवं कुरुचि-उत्पादक शब्दाडम्बरपूर्ण रसीली
कविताओं की बाढ़ से बहा जाता है, वहाँ भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और निष्काम
कर्मयोग-विषयक तात्त्विक विषयों की पुस्तक से सन्तोष होना बहुत ही कठिन
है, तथापि गत तीन वर्षों के अनुभव से मुझे यह पता लगा है कि नास्तिकता की
इस प्रबल आँधी के आने पर भी ऋषि-मुनि-सेवित पुण्यभूमि भारत के सुदृढ़ मूल
आध्यात्मिक सघन छायायुक्त विशाल तरुवर की जड़ें अभी नहीं हिली हैं और उसका
हिलना भी बहुत ही कठिन मालूम होता है। इस समय भी भारत के आध्यात्मिक जगत्
में सच्चे जिज्ञासुओं और साधुस्वभाव के मुमुक्षुओं का अस्तित्व है, यद्यपि
उनकी संख्या घट गयी है। इस अवस्था में यह आशा करना अयुक्त नहीं होगा कि इस
सरल भाषा में लिखी हुई तत्त्वपूर्ण पुस्तक का अच्छा आदर होगा और लोग इससे
विशेष लाभ उठावेंगे।
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